अरण्य- जंगल, कानन, वन, विपिन, रान, अटवी |
ईश्वर- परमेश्वर, प्रभू, देव, अलख, अलक्ष, आनंदघन, ईश |
आकाश- गगन, अंबर, नभ, तारांगण, अंतराळ, आभाळ, योम, ख, अंतरिक्ष, वितान |
अवहेलना- अपमान |
अश्व- तुरुंग, घोडा, वारू, वाजी, हय, तुरंगम |
अंगना- स्त्री |
आश्चर्य- अचंबा, नवल, विस्मय |
अक्षय- न संपणारा |
अमृत- सुधा, पीयूष |
इन्द्र- नाकेश, शक्र, देवेन्द्र, पुरंदर, वासव, वज्रपाणी, सहस्त्राक्ष |
आहार- खाद्य, भोजन |
अस्त- मावळणे, शेवट होणे |
अनल- अग्री, विस्तव, पावक, वन्ही, वैश्वानर |
अभियान- मोहीम |
आठवण- स्मृति, स्मरण |
आनंद- संतोष, हर्ष, प्रमोद, तोष, मोद |
आमूलाग्र- मुळ्यापासून
शेंड्यापर्यंत |
इंदू- चंद्र |
अभिषेक- अभिषव, अभिशेष |
कपाळ- ललाट, कपोल, निढळ, अलिक, भाल |
आई- जननी, माय, माऊली, माता, मातोश्री, जन्मदात्री |
इच्छा- आशा, मनीषा, अपेक्षा, वासना, आकांक्षा, आरजू |
अभिनय- अंगविक्षेप, हावभाव |
उतारू- प्रवासी, यात्रिक, यात्रेकरू |
अही- सर्प,साप, भुजंग |
किरण- कर, रश्मी, अंशु, मयुख |
आकांक्षा- इच्छा |
उदरनिर्वाह- चरितार्थ |
अर्जुन- भारत, पार्थ, धनंजय, किरीट, फाल्गुन |
कावळा- काक, वायस, एकाक्ष, काऊ |
आमरण- मरेपर्यंत |
उंट- उष्टर, उष्ट्र |
आण- शपथ |
उपनयन- मुंज |
अमित- असंख्य |
कृष्ण- कन्हैया, मुरलीधर, देवकीपुत्र, वासुदेव, कान्हा, मुरारी, विष्णूचा
आठवा अवतार |
आळशी- कामचुकार, ऐदी, मंद्र, सुस्त, कुच्चर, निरुद्योगी, उठवळ, उठाळ, उंडगळ, आळसट |
ऊन- लोकर, ऊर्ण |
अर्थ- भावार्थ, मतलब, उद्देश, हेतू, भाव, तात्पर्य, अभिप्राय |
उत्कर्ष- वाढ, संपन्नता, भरभराट |
अगत्याने- स्वागतशील दृष्टीने |
ऐतोबा- काम न करणारा |
आस्था- आदर, जिव्हाळा, आपुलकी, अगत्य |
क्रीडा- खेळ, मौज, मनोरंजन, क्रीडन, विहार, विलास |
अभ्यास- व्यासंग, सराव, परिपाठ |
अंबर- आकाश, नभ, आभाळ, गगन, अवकाश, अंतरिक्ष, अंतराळ, तारांगण |
किंकर- दास, सेवक, भृत्य, अनुचर |
घर- भवन, सदन, गृह, निकेतन, आलय, निवास, धाम |
खूण- चिन्ह, निशाणी, संकेत, चिन्ह |
ताकत- शक्ति, बल |
कोकीळ- कोयल, कोकिल, पिक, कोगुळ |
तोंड- मुख, तुंड, आनन, वदन |
खग- पक्षी, द्विज, विहंग, शकुंत |
घास- ग्रास, कवळ |
खल- नीच, दुष्ट, दुर्जन |
तलवार- समशेर, खड्ग |
काळोख- अंधार, तिमिर, तम |
जमीन- भूमी, भुई, भू |
खून- वध, हत्या |
त्वेष- स्फुरण, आवेश |
कृपण- कंजूष, हिमटा, कोमटा, चिक्कू, खंक |
जरब- धाक, दबदबा, दरारा, वचक, दहशत |
खच- ढीग, थर, गंज, रास |
तारुण्य- जवानी, ज्वानी, यौवन |
कुरूप- आकाररहित, बेढब, विद्रूप |
देह- तन, शरीर, तनु, काया, वपू |
गणपती- गणेश, गजानन, विघ्नहर्ता, गणराय, लंबोदर, चिंतामणी, एकदंत, वक्रतुंड, धरणीधर |
जल- पाणी, जीवन, नीर, उदक, सलिल |
खजिना- तिजोरी, भांडार, कोश, द्रव्यनिधी |
दैत्य- दानव, राक्षस, असूर |
कमळ- राजीव, पद्म, नलिनी, सरोज, पंकज, नीरज, अंबुज, अब्ज |
चांदणे- चंद्रिका, ज्योत्सना, कौमुदी |
गरज- आवश्यकता, निकड, जरूरी |
देव- परमेश्वर, ईश्वर, अमर, सुर, ईश |
काळजी- फिकीर, आस्था, चिंता, कळकळ |
चवताळणे- चिडणे, रागावणे |
कासव- कमठ, कूर्म, कच्छ, कच्छप |
दूध- क्षीर, दुग्ध, पय |
गरुड- खगेश्वर, खगेंद्र, वैनतेय, द्विजराज |
चंद्र- सुधाकर, हिमांशु, सुधांशु, शशी, इंदू, सोम, निशानाथ, रजनीनाथ, विधू, शशांक |
डौल- ऐट, दिमाख, रुबाब |
दिवस- दिन, वासर, वार, अह |
गर्दी- दाटी, खच, गर्दा |
देऊळ- मंदिर, देवालय, राऊळ |
ढग- मेघ, घन, आर्द्र, पयोधर, जलद, अभ्र, अब्द |
धनुष्य- धनू, चाप, कमटा, कोदंड, कार्मुक |
गौरव- अभिनंदन, सन्मान |
जीवन- आयुष्य, पाणी, जल |
गर्व- अहंकार |
धन- द्रव्य, पैसा, संपदा, संपत्ती, दौलत |
तलाव- तडाग, कासार, सरोवर, तटाक, सारस |
झुंबड- गर्दी, दाटी, खच, गर्दा |
झाड- वृक्ष, पादप, तरु, द्रुम, शाखी, अगम |
पृथ्वी- धरती, धरणी, वसुंधरा, धरित्री, भू, भूमी, धरा, मही, क्षमा, रसा |
धूर्त- लबाड, भांडखोर, चलाख, कावेबाज, अरकाट, लुच्चा, लफंगा |
बाप- जनक, वडील, तात, जन्मदाता, पिता |
ऋषि- मुनी, साधू |
ब्राम्हण- विप्र, द्विज |
डोळा- नयन, चक्षू, नेत्र, लोचन, अक्ष, आवाळू |
प्रासाद- मंदिर, वाडा |
निष्णात- तरबेज, प्रवीण |
बळ- ताकद, शक्ती, जोर, सामर्थ्य |
निर्वाळा- खात्रीपूर्वक |
प्रघात- रिवाज, पद्धत, चाल, रीती |
डोके- मस्तक, माथा, शिर, शीर्ष |
बाण- सायक तीर, शर |
नैपुण्य- कौशल्य |
पक्षी- अंडज, पाखरू, खग, विहंग, विहग, द्विज |
नमस्कार- नमन, वंदन, प्रणिपात, अभिवादन |
बाग- उपवन, उद्यान, बगीचा |
पुजा- आर्चा, सेवा, अर्चना |
बिकट- अवघड, कठीण |
नदी- सरिता, तरंगिणी, तटिनी |
ब्रम्हदेव- प्रजापती, विधी, विरंची, कमलासन, ब्रम्हा, चतुरानन |
नवरा- पती, वल्लभ, धव, भ्रतार, कांत, भर्ता |
पाय- चरण, पद, पाद |
प्रवीण- निपुण, कुशल, हुशार, पटू, तरबेज,निष्णात |
पान- पर्ण, पत्र, पल्लव |
नोकर- सेवक दास, चाकर, आर्यिक, उलिंग |
पुढारी- नायक, नेता, अग्रणी, धुरीण |
पाणी- जल, उदक, जीवन, सलिल, अंबू, पय, नीर तोय |
बेडूक- मंडुक, दुर्दर |
पत्नी- अर्धांगिनी, बायको, कांता, दारा, जाया, भार्या, कलत्र |
पुरुष- नर, मर्द |
पोरका- निराधार, आई-बाप नसलेला |
भाऊ- बंधू, भ्राता, सहोदर |
पर्वत- अचल, नग, गिरी, अद्री, शैल |
पार्वती- भवानी, उमा, दुर्गा, कन्याकुमारी, काली, गौरी |
प्रगल्भ- गंभीर, शहाणा, प्रौढ |
भुंगा- मिलिंद, भ्रमर, अली, मधुप |
पारिपत्य- पराभव, शिक्षा, दंड |
भांडण- तंटा, झगडा, कलह |
प्रेम- लोभ, अनुराग, प्रीती |
भांडखोर- कळाम, कलभांड, कलागती, कलागत्या, कलाझंगडी, कालांट, कळींकटा |
फूल- सुमन, पुष्प, कुसुम, सुम |
वानर- माकड, मर्कट, कपी, शाखामृग |
पोपट- रावा, राघू, शुक |
वारा- पवन, अनिल, मारुत, समीर, वायू, वात, हवा |
भरभराट- उत्कर्ष, चलती, समृद्धी |
रयत- जनता, प्रजा |
मित्र- स्नेही, सखा, सोबती, दोस्त, सवंगडी |
लक्ष्मी- रमा, कमला, इंदिरा, वैष्णवी, श्री |
विहार- भ्रमण, सहल, क्रीडा |
शेष- वासुकी, अनंत |
विष्णू- रमापती, रमेश, चक्रपाणी, अच्युत, केशव, नारायण, माधव, मधुसूदन, त्रिविक्रम, वासुदेव, पुरुषोत्तम, हृषीकेश, पितांबर, शेषशायी, गोविंद, श्रीपती, पद्मनाभ |
शेतकरी- कृषक, कृषीवल |
माणूस- मानव, मनुज, मनुष्य |
सूर्य- प्रभाकर, दिवाकर, सहस्त्रकर, वासरमणी, मार्तंड, चंडांशू, आदित्य, भास्कर, रवी, मित्र, अर्क, भानू, दिनकर, दिनमणी, सविता |
उथव- भरती |
शत्रू- दुश्मन, वैरी, रिपु अरी |
महा- महान, मोठा |
सकल- सर्व, अखिल, सगळा, समस्त |
मुलगी- नंदिनी, कन्या, तनुजा, सुता, दुहिता, आत्मजा, तनया |
सोने- कांचन, हेम, हिरण्य, कनक सुवर्ण |
मुलगा- तनुज, आत्मज, तनय, सुत, पुत्र, नंदन |
संघर्ष- झगडा, टक्कर, भांडण, कलह |
मासा- मत्स्य, मीन |
स्त्री- नारी, अबला, महिला, वनिता, ललना |
यज्ञ- होम, मख, याग |
समुद्र- सिंधू, सागर, उद्धी, अंबुधी, पयोधि, जलधी, वारिराशी, रत्नाकर, अर्णव |
वीज- बिजली, तडीत, चपळा, विद्युत |
सनातनी- कर्मट, जुन्या रूढी व परंपरांना चिकटून राहणारे |
युद्ध- संग्राम, लढाई, संगर, रण, समर |
संहार- नाश, विनाश, सर्वनाश |
रस्ता- मार्ग, वाट ,पथ |
हत्ती- नाग, गज, सारंग, कुंजर |
वेदना- कळ, दुःख, व्यथा, यातना, शूळ |
सह्याद्री- सह्यगिरि, सह्याचल |
राग- क्रोध, संताप, रोष, कोप, त्वेष |
हात- बाहू, भुज, पाणि, कर, हस्त |
वस्त्र- अंबर, वसन कपडा, पट |
सिंह- पंचानन, वनराज, मृगराज, केसरी, मृगेंद्र |
राजा- नरेंद्र, भूपती, नरेश, नृप, भूपाल |
हरीण- सारंग, कुरंग, मृग |
वल्लरी- वेल, लता, लतिका |
सुंदर- मनोहर, अभिराम, सुरेख, रमणीय, रम्य |
रात्र- यामिनी, निशा, रजनी |
हृदय- अंतर, अंतःकरण, हिरीत |
शंकर- रुद्र, महेश, भालचंद्र, चंद्रशेखर, महादेव, सदाशिव, कैलासनाथ, महेश्वर, नीलकंठ, शिव, सांब, दिगंबर, त्रिनेत्र, त्र्यंबक, पार्वतीश |
होडी- नौका, नाव, तर |
रक्त- असुत, असू, शोणित, रुधिर |
सुरुवात- प्रारंभ, आरंभ, आदी |
रागीट- कोपी, संतापी, कोपिष्ट |
हुशार- चतुर, चलाख, तरबेज, कसबी, कलमतराश |
पैसा- दाम |
उत्कंठा- उत्सुकता |
हिरमोड- विरस |
प्रमेय- सिद्धान्त |
आकाशवाणी- नभोवाणी |
सारमाड- बाजरीची ताटे |
अनुरक्ता- प्रेमात पडलेली |
वैरण- ज्वारीची ताटे |
कटी- कंबर |
वृच्छिक- विंचू |
पांथस्थ- वाटसरु |
तमोगुणी- शीघ्रकोपी |
खळ- दुर्जन |
देखणे- सुंदर |
तोळंबा- धष्टपुष्ट, लंबक, तुळई |
आयव्यय- जमा-खर्च |
मिठी- आवड |
परिहार- निवारण |
नवोढा- नववधू |
उद्धृत करणे- स्पष्टीकरण देणे |
व्युत्पत्ती- उगम |
उन्मत- मस्तवाल |
मक्षिका- माशी |
तोरा- रुबाब |
वर्म- रहस्य |
कपिलाषष्ठीचा योग- दुर्मिळ योग |
दंभ- ढोंग |
राबता- वर्दळ |
अपत्य- मूल |
स्वीय- स्वतःचे काम |
अनुचित- अयोग्य |
विवंचना- काळजी |
पक्षपात- असमृद्धी |
ओशाळणे- लाजणे, शरमणे |
अभिवृद्धी- उत्कर्ष |
विहित- उचित |
अभिजात- उच्च दर्जाचा |
अनुराग- प्रेम |
अवकाळी- अवेळी |
अहर्निशी- रात्रंदिवस |
निबर- बोथट झालेला, कोमलत्व संपलेला |
जीव- आत्मा |
विश्वासघात- फसवणूक |
शिव- परमात्मा |
वराह- डुक्कर |
भ्रतार- नवरा |
गडणी- मैत्रीण |
मुखस्तंभ- गप्प राहणारा |
कामिनी- स्त्री/नारी |
भाकड- दूध न देणारे |
ललाटी- कपाळी |
चतुराई- हुशारी |
फटकळ- स्पष्टवक्तेपणा |
मुबलक- पुष्कळ |
मिस्किल- खोडकर |
शिणगार- साजशृंगार |
मनमुराद- मनसोक्त |
ओहोटी- मागे जाणे |
कांती- सतेज त्वचा |
भरती- पुढे जाणे |
हमखास- खात्रीने |
डकविणे- चिकटविणे |
अम्लान- शुद्ध |
पिकलं पान- वृद्धत्व |
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